Uttarakhand Land Law 2025: पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड विधानसभा में कैबिनेट मीटिंग का गठन किया जा रहा है। इस कैबिनेट मीटिंग में उत्तराखंड राज्य सरकार ने विभिन्न प्रस्ताव को पारित किया है जिसमें भू कानून के विधेयक को भी मंजूरी दे दी गई है। काफी लंबे समय से उत्तराखंड राज्य सरकार इस भू कानून के विधेयक को कानून में बदलने की मांग कर रही थी और आखिरकार इस भू-कानून (Uttarakhand Land Law 2025) के विधेयक को मंजूरी मिल चुकी है। भू -कानून के विधेयक को मंजूरी मिलते ही अब उत्तराखंड में सख्ती से इस भू कानून का पालन किया जाएगा।
Uttarakhand Land Law 2025: उत्तराखंड में सुनिश्चित होगा भूमि संरक्षण
बता दें काफी लंबे समय से उत्तराखंड राज्य सरकार उत्तराखंड में जमीनों को भू- माफियाओं से बचाने ,जरूरी प्रयोजनों के अलावा अन्य दुरुपयोग से बचाने हेतु विशेष कानून की मांग कर रही थी । परंतु काफी लंबे समय से इस विधेयक को पास नहीं किया जा रहा था। पर अब आखिरकार उत्तराखंड कैबिनेट ने उत्तराखंड प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 में संशोधन कर नया कानून प्रस्तावित कर दिया गया है और इस नए बदलाव की वजह से अब उत्तराखंड में जमीनों को सुरक्षा दी जा सकेगी।

क्या है उत्तराखंड भू-कानून (Uttarakhand Land Law 2025) ?
जैसा कि हमने आपको बताया उत्तराखंड में शुक्रवार के दिन कैबिनेट मीटिंग के अंतर्गत भू कानून पारित कर दिया गया है। इस Uttarakhand Land Law 2025 के पारित होते ही राज्य में भूमि संरक्षण नियम को अब मजबूती मिल जाएगी। इस संपूर्ण Uttarakhand Land Law 2025 के माध्यम से उत्तराखंड में सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा । वहीं यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि उत्तराखंड की कृषि योग्य जमीन बाहरी राज्य के व्यक्तियों को ना बेची जाए और अब जमीन खरीदने और बेचने से पहले हलफनामा प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया जाएगा जिसके अंतर्गत विशेष नियमों के प्रावधान भी सुनिश्चित किए गए हैं।
What will be the benefit of implementation of land law in Uttarakhand
- उत्तराखंड में नया Land Law लागू होने से अब भू कानून को काफी कड़ा कर दिया जाएगा जिससे निवेशकों और भूमाफियाओं के बीच अंतर करना आसान हो जाएगा।
- किसी भी जमीन को बेचने से पहले विभिन्न प्रक्रियाओं और कानूनी दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया से लोगों को गुजरना होगा जिससे यह सुनिश्चित होगा की जमीन की खरीद बेच में सरकार का हस्तक्षेप हो और सरकार की निगरानी में ही यह सारी प्रक्रिया पूरी की जा सके।
- साथ ही यह भी देखा जाएगा कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीन खरीद कर उसका गलत इस्तेमाल न कर सके।
उत्तराखंड भू कानून के अंतर्गत क्या संशोधन किए गए हैं
Uttarakhand Land Law के अंतर्गत वर्ष 2025 में कुछ विशेष संशोधनों के प्रावधान किए गए हैं जो इस प्रकार से हैं
- उत्तराखंड के हरिद्वार उधम सिंह नगर को छोड़कर बाकी अन्य 11 जिलों में बाहरी राज्य के व्यक्ति कृषि योग्य और बागवानी योग्य भूमि नहीं खरीद सकेंगे ।
- उत्तराखंड के सभी नगर निकाय क्षेत्र को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में बाहरी राज्य के व्यक्ति केवल एक बार ही आवासीय प्रयोजन के लिए निवेश कर सकेंगे जहां उन्हें केवल 250 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की छूट दी जाएगी इस प्रक्रिया के लिए भी उन्हें शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- वे सभी निवेशक जो उत्तराखंड में उद्योग/इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के अंतर्गत जमीन खरीदना चाहते हैं उन्हें सरकारी नियमों का पालन करना होगा और जमीन रजिस्ट्री हेतु हलफनामा प्रस्तुत करना होगा ।
- हालांकि हरिद्वार और उधम सिंह नगर में बाहरी राज्य के व्यक्ति कृषि योग्य भूमि खरीद सकते हैं लेकिन उन्हें शासन स्तर से अनुमति लेनी होगी जहां जिला अधिकारी स्तर की अनुमति को मान्य नहीं माना जाएगा।
- उत्तराखंड के 11 जनपद में अब 12.5 एकड़ भूमि की सीलिंग को खत्म कर दिया गया है अर्थात अब यदि किसी भी व्यक्ति को संपूर्ण उत्तराखंड में किसी भी प्रयोजन के लिए जमीन खरीदनी होगी तो उन्हें सभी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने होंगे और शासन स्तर से अनुमति लेनी होगी।
- साथ ही भूमि खरीदने के दौरान जिस कारण को स्पष्ट करते हुए भूमि खरीदी जा रही है उस प्रयोजन के अलावा भूमि का कोई और उपयोग नहीं किया जा सकता अन्यथा कानून का उल्लंघन माना जाएगा और सरकार उचित कार्यवाही करेगी ।
- उत्तराखंड भू कानून के सुगमता पूर्वक संचालन हेतु पोर्टल भी तैयार किए जाएंगे ताकि वहां भी खरीद- बिक्री प्रक्रिया पर पूरी निगरानी रखी जा सके।
- वही समय-समय पर जिलाधिकारी ,राजस्व परिषद और शासन को भूमि खरीद से जुड़ी सारी रिपोर्ट भेजा करेंगे ताकि अवैध खरीद पर रोक लगाई जा सके।
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निष्कर्ष
कुल मिलाकर संपूर्ण उत्तराखंड में अब भू कानून (Land Law) को काफी कड़ा कर दिया गया है । जहां कृषि योग्य भूमि बेचना और खरीदना दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है । वहीं वे सारे निवेशक जो चिकित्सा ,स्वास्थ्य ,औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि खरीदना चाहते हैं उन्हें अब शासन स्तर पर अनुमति लेनी होगी। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा की वे जिस परियोजना के लिए भूमि ले रहे हैं 2 साल में उस परियोजना को पूरा कर ले अन्यथा सरकार द्वारा इस पूरे मामले में उचित कार्यवाही की जाएगी और भू कानून का उल्लंघन करने वालों को विधेयक में प्रायोजित दंड भी दिया जाएगा।